सोचता हूं....

सोचता हूं,
तुम्हे जाते वक्त क्या दूं,
तुम्हारा मेरे जीवन में क्षणिक भर आना,
सुखद रहा...
सुखद रहा तुम्हारे होने का एहसास,

कभी रात के पहर में उठकर लिखता हूं,
तुम्हारी मुस्कुराहटो को,
तो कभी सोचता हूं,
क्या तुम भी मुझे याद करती हो,

सोचता हूं,
क्या दूं तुम्हें आखिरी विदाई पर,
जो मैं याद रह जाऊं तुम्हे,

सोचता हूं,
क्यों बिखर गया मैं,
क्यों टूट गया देखकर तुम्हें,
पहले क्यों नहीं टकराई मुझसे,

सोचता हूं,
कभी किसी भीड़ में मिलोगी,
तो नजरें झुका लोगी,
या फिर दौड़ गले लगा लोगी,

सोचता हूं,
तुम्हारा जाना कितना पीड़ा देगा मुझे,
क्या मैं ठहर पाऊंगा तुम्हारे बगैर,

सोचता हूं,
नदी सा बहता चला जाऊं,
तुम्हारे प्रेम में,

सोचता हूं,
इस प्रेम की नाव को किनारा मिलेगा,
या मझधार में ही डूब जाना लिखा होगा,

सोचता हूं.... 
सोचता हूं.....
हां! मैं तुम्हारे बारे में सोचता हूं....❤️

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