नज़्म - वो आया ही था मुझे छोड़ के जाने के लिए

दिया था जिसने अपना कंधा मुझे रोने के लिए,
दिया था जिसने दिलासा मुझे सम्हालने के लिए,
क्या पता था वो शख्स भी छोड जाएगा एक दिन,
मुझे इस तरह से भटकने के लिए,
किये थे उसने वादे कई मुझसे,
शायद मुझे समझाने के लिए,
पर क्या हक था उसे मुझे सम्हालने का,
जब वो आया ही था मुझे छोड के जाने के लिए
उसका हमे छोड जाने का गम नहीं था पर,
रूख़सत भी हुआ तो इस कदर की
उसने मुनासिब तक नही समझा वजह बताने के लिए
खैर अब जो उसकी याद आती है
चेहरे से हँसी ही गायब हो जाती है ये सोच के
क्यो वो आया था मुझे छोड़ जाने के लिए

'सावन'

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