मै तो कहीं का ना रहा : सावन

 

मैं उस हर शख्स से इस जवाब के इंतज़ार में हूं, 

जिसको मैंने बिन मांगे अपना सब कुछ दिया।


राते गुजार रहा हू तन्हा, दर्द और यादों के बीच

पर जिसे चाहा शिद्दत से मैंने उसने ही ये दर्द मुझे दिया


पहले उठा भरोसा मेरा दुनिया से, फिर लोगो से,

अब हालात ये है की भरोसा तो ख़ुद पे भी ना रहा।


खुद के स्महलने की वजह और जगह तलाश कर 'सावन' !

अब वो तेरा ना रहा, और तू भी ख़ुद का ना रहा।


लिखूं जो खुद हालत तो मेरा हालात भी शरमा जाए,

की क्या किस्मत रही तेरी 'सावन' तू तो कही का ना रहा ।


तन्हा ही बीरान रातों को अपने ही लफ्जो से खेलता रहा मैं, 

अपने दर्दों को, हालातो को शब्दो में पिरोता रहा मैं।


हालात चाहे कुछ भी रहे हो मेरे पर इतना तो उसूल रहा मेरा,

की किसी मासूम के आंखो के अश्क की वजह मैं ना रहा।


'सावन'

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