बेहतर होगा आज मेरा खामोश हो जाना : सावन
लिखूं जो आज तो आसमां रो दे,
बेहतर होगा मेरा आज खामोश हो जाना।
मुद्दत गुजर गईं, एक ज़माना हो गया,
इतने अर्से से सीखा है मैंने ख़ामोश हो जाना।
कहूं कुछ तो भरोसा ही नहीं मुझपे किसी को,
तो मान के गलती खुद की, बेहतर होगा ख़ामोश हो जाना
ज़ख्म देखेगा जमाना पर, उससे मरहम की बात तक न होगा
जख्म का दर्द दिखाने से बेहतर होगा, आज खामोश हो जाना,
तुम जो औरों से मेरी तताबुक़ करते हो,
इसके बाद बचा ही क्या, मेरे पास सिवाय की खामोश हो जाना
सच कहुं तो आज रो दिया है दिल मेरा, तुम्हारा ये हाल देख के,
बेहतर होगा अब इस रिश्ते में मेरा हमेशा के लिए खामोश हो जाना
तताबुक़ - तुलना
🖋️ सावन
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