एक पिता के नाम ख़त : सावन
आप नहीं समझोगे मेरे प्रेम की पराकाष्ठा को, शायद आपने प्रेम किया होता तो आप समझते, रिश्ते निभाना आसान है क्योंकि बांध दिए जाता हैं रिश्तों के सहारे इंसानों को और इंसान निभाता है, आप ने एक लंबा अरसा अपने हमसफ़र के साथ गुजारा तब आप इस मुकाम पे है की, अगर वो गए या कुछ हुआ तो आप टूट जायेंगे, मैने तो इतना प्यार अभी ही कर लिया है की उसके बिना जिंदगी का कोई वजूद ही नही दिखता मेरे को, मैं तो लंबा अरसा नहीं गुजारा उसके साथ न, ना उसके साथ ज्यादा रहा, उसका दीदार हो जाए बस थोड़ा सा इस उम्मीद में मैने कइयों बार सड़क के किनारे टुकटुकी लगाए देखा है, शायद कॉलेज की तरह वो फिर मिल जाए देखने को, या किसी रोज अपने भाई के पीछे बाइक पे बैठ के बाजार जाते मिल जाए देखने को,
आप नहीं समझ पाओगे मेरे प्रेम को आप ने ये प्रेम वर्षो साथ रह के अपने हमसफ़र के साथ बनाए है। मैने इतना प्रेम छड़ भर में बनाए है, मैं उसे खोना नहीं चाहता प्लीज, इज़्ज़त तब जायेगी जब आप हमारा साथ छोड़ देंगे, इज्जत तब जायेगी जब मैं आप की इज्जत को इज्जत का दर्जा नहीं दूंगा, छोड़िए न इज्जत की बात मैं भी तो आप के बच्चे की तरह हूं, लपकझुन्ना आप की बिटिया है, बस एक बार अपने मोह से उठ के हमारी खुशी देख लीजिए ना बस एक बार हम अपने जिंदगी की भीख मांग रहे है, आप के जाने के बाद एक दूसरे को सम्हालने के लिए हम बेहतर है इतना समझ के हमे जीने का मौका दे दीजिए,
बस एक चीख सुन लीजिए दो बच्चो का जो दोनो ही आप के है बस उन्हें आशिर्वाद दे दीजिए, एक हो जाने का अपना पूर्ण समर्पण अपने प्रेम के प्रति करने का हमारा सफर यूं अधूरा ना करिए,
आप का सावन
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