पत्रकारिता एक ऐसा माध्यम होता है जिसके माध्यम से देश की जानकारी, हालात और राजनितिक बातो के बारे उस देश के आवाम को पता चलता है पर मौजूदा हालत को देखते हुए और पत्रकारों के रवैया को देखते हुए ये कही नहीं लगता की पत्रकरिता लोकतंत्र का चौथा स्तम्भ है।
वैसे भारतीय टैलीविज़न शो ,सास और बहु के झगड़े वाले आज कल के पत्रकरिता से कही बेहतर है अगर देखे तो उन का स्तर इतना भी नहीं गिरा जीता की पत्रकारों की और पत्रकारिता का गिरा है। वैसे हमने ग्रेजुएशन में अर्थशास्त्र में पढ़ा था की जैसा मांग वैसी पूर्ति बस वही आज समझ आ रहा है। असम, बिहार , आधा उत्तर प्रदेश ,केरल बाढ़ जैसी प्राकृतिक आपदा झेल रहा है और न्यूज़ शो कुछ ऐसे चल रहे है जैसे की सास बहु के झगड़े पर वो भी इनसे कही बेहतर है क्योकि वो कम से कम बता देते है की ये सास है और ये बहु पर यहां तो कही का ईट कही का रोड़ा और दे देते है देखने को और खुद को कभी कभी तमगा तक दे देता है भारत का सबसे बेहतरीन चैनल होने का और जहा तक हमे लगता हर एक ने खुद को सबसे बेहतरीन कह रखा है।
कोई पत्रकार ऐसे चिल्लाता है जैसे की मछली बेच रहा हो "पूछता है भारत " और भी है पर जैसे ये पत्रकार होते है वैसे ही पकाउ इनके कुछ प्रवक्ता भी होते है न बोलने का शिस्टाचार न तहजीब ये बस इन पत्रकारों से मिल के मछली बेचने से मतलब रहता है और हम ठहरे हिन्दू शाकाहारी हमे नहीं पसंद इसलिए हमने न्यूज़ देखना ही बंद कर दिया है वैसे भी करेंट अफेयर जब कमजोर होना ही है तो इनका चिल्लम चिल्ली सुन के क्यों अपनी जानकारी को बर्बाद करे, क्यों न बिना देखे ही सब खतम करे
वैसे ना मई कोई प्रोफैशनल ब्लॉगर हूँ ना ही मै उतनी जानकारी दे पा रहा पर मेरी शुरुआत है वैसे आज की पत्रकारिता का स्तर सच में गिर सा गया है जो किसी प्रतियोगी परीक्षा या फिर किसी के जानकारी के लायक नहीं है खैर आज के लिए इतना ही फिर कभी........ तब तक के लिए महादेव
👌
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