एक जाम शाम के नाम : सावन
#एक_ज़ाम
जब लोगों को समझने लगते है हम, जानने लगते है तो दिलचस्पी बढ़ जाती है और जानने को समझने को, पर जब इंसान ही समझ से परे हो तो फिर कही ना कही सब उलझ जाता है।
मै अक्सर अपने वजूद को उन लोगो तक ही साझा करता हूँ जो मेरे करीब है वरना मैं या तो उलझा हुआ जवाब दे देता हूँ या फिर मैं खामोश रहना पसंद करता हूँ, यही वजह है कि मैं अकेला रहना मेरी फ़ितरत सी हो गई है।
अपनी जिंदगी में भीड़ बढ़ानी हो तो बिना सिर पैर के रिश्ते बनाइए और फिर हर रोज किसी ना किसी रिश्तेदार के मुश्किलों को सुलझाइए
या फिर अकेले रहिए ना किसी के जाने का डर ना किसी के आने की उम्मीद बस आप और आप के हालात जिसपे आप रोए, गाएं बाकी दुनिया भाड़ में जाए।
सावन
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