Satire 1

राजनीतिक व्यंग्य 



वैसे राजनीतिक मुद्दे बहुत ही ज्यादा उलझे  होते है और इसमें इस कदर गोलबंदी होती है की छोटी सी बात को बतंगड़ बना दिया जाता है इसलिए इन सब मुद्दों को अक्सर पत्रकारिता के माध्यम से उठाया जाता रहा है। 












वैसे अगर राजनीति की बात करू तो ये मेरे उस प्रेयसी की उस दंतकथा से भी उलझा है जो वो कहती है की आप मेरे प्रेमी नहीं हो उससे थोड़ा नीचे और बेस्ट फ्रेंड से थोड़ा ऊपर हो, आज तक मेरे यथास्थान का पता ख़ुद हमे नहीं चला वही हालत सामान्य जनता की है उन्हें पता ही नहीं है की वो है क्या क्योकि हर पांच साल बाद भगवान बना दिया जाता है  चुनाव के वक़्त तक उसके बाद उनका दोहन फिर शुरू, राजनितिक हालातो में ये हालत बस सामान्य जनता के बारे में कह रहा हूँ चाटुकारो की तो हमेशा से ही चांदी रही है तो ये बाते उनके लिए नहीं है ये अपवाद थे , है , और रहेंगे बिलकुल कैरी स्टाइल में।  वैसे सच कहु तो संबिधान में संसोधन की जरुरत अब हो चली है , खैर इससे मंशा मेरा संबिधान में राजनितिक शक्तियों के सुधार से है पर कुछ कथित आर्मी वाले अब हमे बाबा साहेब का अपमान का आरोप लगाएंगे उनका बस चले तो सजा भी आज ही मुक़र्रर कर दे , वैसे लोग बुरे नहीं होते उनके रहनुमा बुरे होते है हम बुरे नहीं होते हमारे प्रतिन्धित्व करने वाले हमे जैसे कहते है , हम उन्हें ही सब मान लेते है , कोई भरोषा करेगा की मैंने अपने सांसद को आज तक नहीं देखा है वो मेरे लिए गूलर के उस फूल के जैसे है जो कभी नहीं दिखेंगे  

वैसे  आज कल पार्टी बनाना इतना आसान  की हर घर में एक या दो राजनितिक दल या पार्टी मिल जाएंगे , मै तो कहु इतना कानून चलाने का चुल्ल मचा है तो घर को ही देश बना लो ना, वैसे जिसकी घर में कोई इज़्ज़त नहीं वो भी अपने आप को हैदराबाद का निजाम समझ रहा है वैसे निजाम कह के निजाम का बेइज़ती नहीं करना चाहता काहे की किसी सम्प्रदाय वाले कल को ये न कह दे की ये बन्दा हमारी कौम के नवाब को ऐसा बोल रहा है किसी ने सच कहा है की ये कलयुग चल रहा है तुम किसी को खुश नहीं रख सकते , ऐसा मेरे साथ ही नहीं हर बंदे के साथ  हो रहा है ,जो किसी भी सरकार से उन्नति या विकास का उम्मीद लगाए बैठा है , मै किसी पार्टी विशेष  से सम्बन्ध नहीं रखता तो हमे किसी  ऐसे पार्टी बिशेष न ही जोड़िये बस ब्यंग्य की तरह ही इसे पढ़े , कल को क्या पता मेरा घर ही ना रहे , मै ही किसी लपेटे में ना जाऊ बताना जरुरी है 

एक लेखक और ब्लॉगर होने के नाते बस ये एक कटाक्ष है इसे दिल पे न ले और कल के लिए दिए प्यार का आभारी रहूंगा आज के लिए बस इतना ही कल मिलूंगा इसी मुद्दे को आगे ले क तब तक के लिए अलविदा 

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