नज़्म - काश की तुम मिली ना होती

काश की तुम मिली ना होती, 
मै रह लेता पुराने दर्दो के साथ, 
काश की तुमसे मुहब्बत ना हुई होती, 
मै रह लेता तन्हाईयों के साथ,
दर्द मे ही सही अब तो मुस्कुरा के जीना पडता है,
तेरी इस हसीन यादों के साथ,
अब तो रातें भी गुजारनी पड रही है,
आँखों मे नींदों की जगह आँसूओं के साथ
अगर हो रही हो महसूस तुम्हे मेरी मुहब्बत, 
तो आज भी है तुम्हारा इंतजार बेइंतहा मुहब्बत के साथ|

'सावन'

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