जिंदगी के हालात और मेरा तन्हा सफर : सावन
रोना तो जैसे अब दस्तूर बन चुका है, उसको खोने के डर से, उसकी यादों में भगवान भी यहीं चाहते है की मैं रोता रहूं तो मैं क्या ही कर सकता हूं, वो चाहेंगे तो एक रोज मुस्कुराऊंगा पर अभी तो कोई ऐसी वजह नही दी है, एक थी मेरी हमसफ़र वो भी दूर है मुझे यकीन है वो भी मुझे याद करती होगी, ये पढ़ के रोती होंगी।
उसने जो लिया, विदा तो इस वादे के साथ की वो करेगी मेरा इंतज़ार, मेरे वापस आने तक चाहे कायनात इधर से उधर हो जाए वो मेरा साथ देगी कयामत की रात तक, मैं भटकता रहता हू, उसे पाने की खातिर, मैने किसी मंदिर को ना छोड़ा ना किसी भगवान को जिससे मैने भीख में अपनी मुहब्बत ना मांगी हो। कहते है इश्क़ में ठोकरे खाना, शायद इस मुकाम तक मैने अपना सफ़र किया है। जिंदगी तबाह हो चुकी है अपने पसंदीदा शक्श को पाने की तलाश में और दुनिया, धर्म कहते है जिस चीज को शिद्दत से मांगो भगवान से वो तुम्हें दिला ही देते है। जिंदगी में जीने की एक वजह तो खोजी है हमने और वो भी कोई इज्जत का हवाला दे के छीन ले जाए तो उनसे कहूंगा यहीं की वो मेरी जान भी ले जाएं, सबके जीने की वजह होती है और वो वजह मैने उस लड़की में खोज रखी है जिसके साथ ही जीना है वरना बर्बादी के रास्ते मर जाना है।
मेरे घर वाले मेरी खुशियों के लिए उस लड़की को बहु मान बैठे है, और एक उनके घर वाले है जो समझ ही नही रहे है, किस मुंह से मैं अपने घर वालो को मना करु, कल तक जिसकी तारीफें करते नही थकता था कैसे कह दूं की उसके घर वाले नही मान रहे है, पता न मेरे घर वाले क्या सोचेंगे उस लड़की के बारे में मैं उसपे अंगुली नहीं न उठने दे सकता मैं तो बस अपने दोनो घरों को एक साथ देखना चाहता हूं, उस घर की भी इज्जत मेरी इज्जत है, मेरे घर की भी इज्जत मेरी है। बस जिंदगी रोते हुए बिस्तर में गुजर रही है ना मुंह दिखाते बन रहा अपने घर वालो से ना ही उनके घर वालो को मनाते बन रहा है। रास्ता इतना ही है की मैं ही घर छोड़ दूं कही ऐसी जगह चला जाऊं, जहां से मौत आसान हो जिंदगी तो आसान बनाने से रहा मैं 😭😭
सावन
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