79th Indipendent Day : सावन
तो आज 79वां स्वंत्रता दिवस था,
हमें आजाद हुए 79 साल हो गए, ये एक लंबा अरसा होता है देश आज उस पुराने जख्मों को भर रहा है जिसको अंग्रेजों ने दिया था ये दिन याद दिलाता है हमारे सेनानियों के संघर्षों को जो मारे गए, जो जेलों में सजा भुगते, जिन्होंने लाठी खाई, जो फंदा चूम चढ़ गए फांसी पे। सच कहुं तो ये आज़ादी मैने, 21वी सदी के होनहारों ने मुफ़्त में पाई है सेनानियों के संघर्षों के बदौलत, हमने देखी नही आज़ादी के संघर्षों को पर 1700 से 1947 तक कही ना कही किसी ना किसी रूप में गुलाम थे ही
जो चीज़ हम जानते ही नही उसका मोल, उस वक्त के लिए गए फैसले और उस वक्त के लोगो पे हम कौन होते है लांछन लगाने वाले ?
पर आज कल जिनको आजादी थाली में परोस के सेनानियों ने दिया है वही 21वी सदी के नव युवा आज कल सेनानियों पे कीचड़ उछालने से बाज नहीं आते उन्हें लगता है 349 में अनलिमिटेड 5G चलाने से आज़ादी मिली थी
सच मायनों में देश आज़ाद हुआ ही नहीं था, एक विदेशी सत्ता से छीना गया तो देशी गद्दारों ने थाम लिया सत्ता का दामन 79 साल में कानून पे कानून बदले गए धारा बदली, लोगो के सोच तक को बदला जाने लगा पर एक चीज़ नही बदला सत्ता के दलालों के अय्याशी के स्तर में बदलाव हां समय के साथ और बढ़ता ही गया है।
हम भूल क्यों जाते है की भारत के संविधान का एक बड़ा हिस्सा भारत शासन अधिनियम से ही आया है जिसकी कल्पना, निर्माण सब अंग्रेज़ो के शासन काल में ही हुआ था और उस समय के बने कानून तो बस लूटने और शासन करने के लिए ही होते थे।
79 साल में इतना हुआ है की हम अब जिहाद की तरफ बढ़ने लगे है जो जिहाद मुशलमानो के द्वारा किया जाता है उसी के राह पे है जिसको एक मंत्र तक का भान नहीं है वो हाथ में धर्म का झंडा लिए जय श्री राम का नारा लगा रहा है चाहे वो शिव बारात निकल रही हो या फिर शरदीय नवरात्रि देवी जी का महोत्सव हो, देवता कोई हो जय श्री राम का ही नारा और जबरदस्ती सबसे बुलवाना हमारे यहां कब से एकेश्वरवाद होने लगा हम शैव को मानने वाले, हम वैष्णव को मानने वाले हम शाक्त्य को मानने वाले अलग अलग संप्रदाय को मानने वाले हिंदू है पर हर जगह जय श्री राम कहां का न्याय है
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