टैरिफ वार में अमेरिका की दयनीय हालत : सावन
तो जैसे आज का माहौल चल रहा है 2 नमूने फिर मिले है एक तो पकिस्तान दूसरा उनके अवैध अब्बू अमेरिका। इन दोनो ने जब भी एक साथ एक नाव में सवारी की है एक दूसरे के लिए कांटे ही बोए है, शीत युद्ध में अमेरिका ने पाकिस्तानी आतंकवाद को समर्थन दिया बदले में पकिस्तान के अलकायदा ने वर्ल्ड ट्रेड सेंटर पे हमला कर दिया एक अरसे बाद फिर दोनो एक साथ आए है देखते है कौन किसके लिए कितना बड़ा कांटा बोएगा,
वैसे विदेश मंत्री जयशंकर प्रसाद ने 2 टूक में अमेरिका को सबक दे दिया की नही पसंद तेल तो मत लो पर भारत रूस से तेल का आयात करेगा। पाकिस्तान एक श्वान है जिसके मालिक बहुत सारे देश है जिसका काम ही है हड्डी के लिए पूंछ हिलाते फिरना दक्षिण एशिया में उसका मालिक चीन है वही उत्तरी अमेरिका में अमेरिका है यूरोप में बात करे तो तुर्की का पालतू की तरह कार्य करता है।
इतिहास गवाह रहा है जब भी अमेरिका अपनी कोई ऐसी नीति लाता है जब उसका स्वयं का फायदा होता है बाकी सब देशों का घाटा होता है तो अमेरिका का ये दांव उसके लिए ही घाव की तरह काम करता है चाहे वो 1789 में चीनी पे लगाया गया अमेरिकी टैरिफ था या फिर 2018 में लगाया गया स्टील पे टैरिफ हो हर बार अमेरिका को ही घाटा उठाना पड़ा है, अमेरिकी डॉलर के मूल्य में गिरावट देखी जा रही है,
अमेरिकी डॉलर इंडेक्स 2025 में साल की शुरुआत में 129 प्वाइंट पे था पर जून आते आते 120 पर आ गया है, 2024 में डॉलर के दाम बढ़े थे और 2023 ये स्थिर था, 1970 के बाद से ये गिरावट सबसे अधिक है अपनी अजीबोगरीब नीति और टैरिफ की वजह से अमेरिकी डालर ने अपना विश्वास खो रहा है।
2024 के पहली छमाही अर्थात जून 2024 तक टैरिफ की वजह से अमेरिका को करीब 50 अरब डालर का कमाई हुआ था, 2025 में इसी पहली छमाही में ये 100 अरब डालर पहुंच गई है, और अमरीकी वित्त मंत्री इस फायदा को 300 अरब तक ले जाने का ख्वाब बुने बैठे है
चूंकि अमेरिका ने टैरिफ इसलिए लगाया था की ये नौकरी की रक्षा करेंगे और भी नौकरी पैदा होगा पर बरहाल अमरीकी नौकरी सेक्टर की बात करे तो इनकी भी हालत खराब हो रही है हाल ही के आंकड़े बताते है की मई में जहां 1 लाख 44 हजार नौकरी आई, वही पे जून में 1 लाख 47 हजार पर जुलाई आते आते टैरिफ की मार नौकरियों पे भी पड़ी जुलाई माह में केवल 73 हजार नौकरी ही आई जो एक अनुमान 1 लाख 15 हजार से बहुत ही ज्यादा कम है।
अमेरिका अपनी गंदगी खुद ही साफ करता है वो भी जुबान से चाट के देखते है इसे कब तक साफ करेगा क्योंकि पीस तो वो भी रहे है जो खुद को दयानिधान मान रहे है।
सावन
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