मै और मेरा सुकून : सावन
सुकून तब भी है जिंदगी में साकी!
जब कोई साथ नहीं है मेरे,
पर शर्त ये है मेरा की
तू मुझे मेरे हाल पे छोड़ दे।
मुझे तुझसे कोई उम्मीद नहीं
तू भी मुझसे कोई राब्ता ना कर
वापस लौटना अब मेरा मुश्किल है,
मेरे हिस्से में यहां कोई नहीं,
मै किसी को ना अपना अब समझता हूँ
मै तन्हा ही खुश हूँ अपने हालात में
बहुत सारे फरेबी देखे मैने,
मेरे हालात को सम्हालने वाले
पर मैं किसी गैर का मोहताज नहीं हूं
ना मेरे हालात किसी के ज़ीर-दस्त है।
ज़ीर-दस्त - किसी के बस में होना, आधीन
© सावन
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