और ये आखरी नज़्म होगा उनके लिए : सावन
और ये आखरी नज़्म होगा उनके लिए
रोए, हंसे, जिए, ख्वाब सजाए जिनके लिए,
हम बगावत कर के अपने घर में बदनाम हो गए
उन्होंने आंसू देखा अपनो का और वो बदल गए,
करो यकीन मेरा इल्म था हमें भी की वो छोड़ जायेंगे
हमे बीच मझधार में मरने को तन्हा छोड़ जायेंगे,
बदलती रहती उनकी फितरत फिर वो मेरे वफादार थे
आज फिर बदल गई उनकी नियत वो अब मेरे गद्दार है,
'सावन'
टिप्पणियाँ