मेरा आगे बढ़ जाना वाजिब है : सावन
अब उनके लिए मेरा कोई आख़िरी भी पैगाम नही है,
गए जो छोड़ साथ मेरा, इसका अब अफ़सोस नहीं है
अब जो याद आते हैं हमें वो, तो वजह है उनकी बेवफाई,
वरना सच कहूं तो उनमें याद करने वाली कोई बात नही है,
धीरे धीरे हमसे और हमारी यादों से ओझल हो जायेंगे वो,
उन जैसे वादाफरेबी को भूलना हमारे लिए कोई बड़ी बात नहीं है
हम लिख रहे है ये पैग़ाम उनको की वो कभी ना कभी तो पढ़ेंगे
वरना उनके लिए लिखने को मेरे पास कोई ख़ास जज़्बात नही है
🖋️ 'सावन'
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